अभिलाषा@ DESIRE.....

Always without desire we must be found, If its deep mystery we would sound; But if desire always within us be, Its outer fringe is all that we shall see.

Thursday, April 30, 2009

♥ Abhilasha - i.e."ICCHA" ♥

चाह नहीं मैं सुरबाला केगहनों में गूँथा जाऊँ
चाह नहीं, प्रेमी-माला मेंबिंध प्यारी को ललचाऊँ
चाह
नहीं, सम्राटों के शवपर हे हरि, डाला जाऊँ
चाह नहीं, देवों के सिर परचढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ
मुझे
तोड़ लेना वनमालीउस पथ पर देना तुम फेंक
मातृभूमि पर शीश चढ़ानेजिस पर जावें वीर अनेक ।।

पिछले कुछ सालों से मेरा हिन्दी से जैसे नाता ही टुट गया है । अब हिन्दी में लिखते हुए बहुत अजीब सा लगता है। ये ब्लोग एक कोशिश है इस दुरी को मिटाने की ।
मैं यहां पर हर सप्ताह में कम से कम एक बार लिखने का प्रयत्न करुगी। अभी तो हिन्दी में टाईप करने में ही अच्छी खासी मेहनत लग जाती है ।



नया ताजा लेकर जल्दी ही दुबारा प्रस्तुत होगी.अगर आप गलती से इस ब्लोग पर आ पहुंचे हैं, तो अनुरोध है कि कुछ टिप्पणी (comment) जरुर छोड़ियेगा हिन्दी भाषा (हमारी मातृभाषा) के बारे में.
लेकिन अगर मैं हिन्दी में नहीं लिख सकती हो ..तो मैं आपसे अनुरोध करती हूँ कृपया मुझे गाली नहीं देंगे....धन्यवाद
- अभिलाषा