दहेज बनाम लड़की.......

भारतीय समाज में दहेज एक बहुत ही आम बात हो गई है lशादी पर, बेटियों को फर्नीचर,बरतन, विद्युत उपकरणों दहेज जैसे हाल के वर्षों रेफ्रिजरेटर, टेलीविजन आदि) के साथ ही कपड़े, गहने और नकदी, निजी वस्तुओं ( सभी आधुनिक घर की वस्तुओं)दिया जाता है l शादी के समय कुछ माता पिता आइटम कार चाहते है.तथ्य यह है कि कोई अच्छा रिश्ता बिना दहेज के असंभव है l यह प्रणाली पूरे भारत में है l (वास्तव में शिक्षित सामाज में अधिक) तथाकथित गांव के लोग कम पढ़े लिखे होते हैं लेकिन यहाँ उन शिक्षित सामाज की भूमिका
अधिक है जो दावा करते है सभ्य सामाज को बनाए रखने में उनका हाथ है. क्या यहीं है उनका सामाज जहाँ दहेज के लिए एक जीवित शरीर को आग में जला दिया जाता है ,लड़कियों को मार डाला जाता है ?
तो क्या 21th सदी के शिक्षित दूल्हे महंगे हो गए है? या दूल्हे और उसके परिवार बहुत लालची हो गए है?
3 Comments:
मुझे भी दहेज़ से बहुत चिढ है ...और जब भी किसी को समझाता हूँ तो उसके कानों पर जू तक नहीं रेंगती .....बहुत बड़ी समस्या है
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
dahej ka danav apna rup dikha kar mano bata raha hai...
is haat mein bakra,gadha aur kutta bikta hai
mehfil mei jaise koi aaraish jism bikta hai.
samasya vikral hai par iska hal hamare hath hai ..dahej lenewale aur dahej denewale bono hi doshi hai,ye sochne waali baat hai... mk
हां आप ठीक कह रहे हैं,जो दहेज लेता है और जो दहेज देता है..दोनों गलत हैं....
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