अभिलाषा@ DESIRE.....

Always without desire we must be found, If its deep mystery we would sound; But if desire always within us be, Its outer fringe is all that we shall see.

Thursday, June 18, 2009

मैं.............?


बात बहुत छोटी सी है पर जवाब नहीं मिल रहा ...........मैं कौन हूँ?

बहुत देर से मै सोच रही हों पर समझ नहीं आ रहा इसलिए मैं मौन हूँ

कभी सोचती हों माँ की प्यारी बेटी हों पर माँ की पीर समझ नही पाती ,

कभी लगता है अपने प्रिय की प्रिया हों पर प्रेम करना भी तो नही आता ,

कभी लगता है विद्यार्थी हूँ पर एक विद्यार्थी की तरह सब ग्रहण करना भी तो नहीं आता,

कभी लगता है एक मुजरिम हों पर अपना जुर्म भी तोह नही जानती ,

कभी खुद को अधुरा मानती हों पर वो खालीपन भी तो समझ मे नही आता ,

पर पूर्ण भी तो खुद को कह नहीं सकती ,क्योंकि पूर्णता क्या है मै ये भी तो नही जानती ,

तो क्या कहूँ , सिर्फ इतना की मैं एक इंसान हूँ वो जो अपने लालच में इंसानियत को भुला चुकी है ,

या ऐसी आस्तिक जो ईशवर को भी नहीं मानती ,

या वो जो स्वार्थ में अपने ही भाई-बहेन को नही पहचानती ,

वो जो रिश्ते नाते सब ठुकरा चुकी है ,

वो जो इंसानियत को अपराधों में बिखरा चुकी है ,

क्या मैं भी वो हेवान हूँ ? नहीं नहीं ,कैसे कह दूँ की मैं इंसान हूँ .........