अभिलाषा@ DESIRE.....
Always without desire we must be found, If its deep mystery we would sound; But if desire always within us be, Its outer fringe is all that we shall see.
Tuesday, May 26, 2009
Sunday, May 24, 2009
वो सुबह ..............

इन काली सदियों के सर से जब रात का आंचल ढलकेगा ,
जब दुःख के बादल पिघलेंगे जब सुख का सागर झलकेगा ,
जब अम्बर झूम के नाचेगा जब धरती नगमे गाएगी ,
वो सुबह कभी तो आयेगी .
जिस सुबह की खातिर जग से हम सब मर मर के जीते हैं ,
जिस सुबह के अमृत की धुन मे हम ज़हर के प्याले पीते हैं ,
इन भूखी प्यासी रूहों पर एक दिन तो करम फरामाएगी ,
वो सुबह कभी तो आयेगी ,
माना के अभी मेरे अरमानों की कीमत कुछ भी नहीं ,
मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर इंसानों की कीमत कुछ भी नहीं ,
इंसानों की इज्ज़त जब झूठे सिक्कों मे ना तोली जायेगी ,
वो सुबह कभी तो आयेगी .
दौलत के लिए जब औरत की अस्मत को ना बेचा जायेगा ,
चाहत को ना कुचला जायेगा, इज्ज़त को ना बेचा जायेगा ,
अपनी काली करतूतों पर जब ये दुनिया शरमाएगी ,
वो सुबह कभी तो आयेगी .
बीतेंगे कभी तो दिन आखिर ये भूख के और बेकारी के ,
टूटेंगे कभी तो बुत आखिर दौलत की इजरदारी के ,
जब एक अनोखी दुनिया की बुनियाद उठाई जायेगी ,
वो सुबह कभी तो आयेगी
????????????????????
Saturday, May 23, 2009
एक स्त्री ...........

कोई याद मुझको आया बहोत है,
सुकून मे दिल को गवाया बहोत है,
मै वाकिफ हूं हकीकत से तेरी,
तुझे ज़िन्दगी ने रूलाया बहोत है,
ख़ुशी और भी है ज़माने में लेकिन ,
तेरी भावनाओ ने मुझको भाया बहोत है,
ज़माने के लिए सबब ये है सिर्फ ,
ज़माने ने तुझको जलाया बहोत है,
कोई भी गम हो पर करता नही असर ,
ऑरो के गम को तुने उठाया बहोत है,
कभी खुश जो तेरा दिल होना चाहा ,
दुनिया ने तुझको फिर से सताया बहोत है.
Friday, May 15, 2009
भारतीय कला की कहानी सबसे पुरानी है l
यह स्वदेशी और बाहर के प्रभावों का एक समामेलन के रूप में अद्वितीय कला है.भारतीय कला की विशेषता है अद्वितीय चरित्र ,संस्कृति,सामाजिक, राजनीति, धार्मिक प्रभावों ,कलात्मक अभिव्यक्ति , सभ्यता और देवताओं के रंग और चित्रों की विविधता l भारतीय कला इस देश की स्वाभाविकता को दर्शाती हैं l

Wednesday, May 6, 2009
दहेज बनाम लड़की.......

भारतीय समाज में दहेज एक बहुत ही आम बात हो गई है lशादी पर, बेटियों को फर्नीचर,बरतन, विद्युत उपकरणों दहेज जैसे हाल के वर्षों रेफ्रिजरेटर, टेलीविजन आदि) के साथ ही कपड़े, गहने और नकदी, निजी वस्तुओं ( सभी आधुनिक घर की वस्तुओं)दिया जाता है l शादी के समय कुछ माता पिता आइटम कार चाहते है.तथ्य यह है कि कोई अच्छा रिश्ता बिना दहेज के असंभव है l यह प्रणाली पूरे भारत में है l (वास्तव में शिक्षित सामाज में अधिक) तथाकथित गांव के लोग कम पढ़े लिखे होते हैं लेकिन यहाँ उन शिक्षित सामाज की भूमिका
अधिक है जो दावा करते है सभ्य सामाज को बनाए रखने में उनका हाथ है. क्या यहीं है उनका सामाज जहाँ दहेज के लिए एक जीवित शरीर को आग में जला दिया जाता है ,लड़कियों को मार डाला जाता है ?
तो क्या 21th सदी के शिक्षित दूल्हे महंगे हो गए है? या दूल्हे और उसके परिवार बहुत लालची हो गए है?
Friday, May 1, 2009
मैं एक पंछी की तरह उड़ना चाहती हूँ

मैं फिर से भरोसा नहीं कर सकती